Golden Blood Group; RH-Null Blood
गोल्डन_ब्लड:
कुछ दिवस पूर्व हमने आपको बॉम्बे ब्लड ग्रुप के बारे में बताया था।
लेकिन आज हम आपको एक और अत्यंत ही दुर्लभ रक्त समूह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उससे भी दुर्लभ हैं, व दुनिया में सिर्फ 43 लोगों के पास उपलब्ध हैं।
रक्त समूह A, B, AB और O सबसे सामान्य रक्त समूह में से एक हैं। पर क्या आपको पता है कि एक ऐसा रक्त समूह ऐसा भी है जिसका अधिपत्य दुनिया में सिर्फ 43 लोगों के पास है।
O नेगेटिव, ना, हम इसकी बात नहीं कर रहे हैं। लेकिन यह रक्त समूह इतना दुर्लभ है कि बीते 58 वर्षो में सम्पूर्ण संसार में सिर्फ 43 लोगों में पाया गया हैं। यह यह रक्त समूह जितना दुर्लभ है, उतना ही खतरनाक भी।
कुछ दिवस पूर्व हमने आपको बॉम्बे ब्लड ग्रुप के बारे में बताया था।
लेकिन आज हम आपको एक और अत्यंत ही दुर्लभ रक्त समूह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उससे भी दुर्लभ हैं, व दुनिया में सिर्फ 43 लोगों के पास उपलब्ध हैं।
रक्त समूह A, B, AB और O सबसे सामान्य रक्त समूह में से एक हैं। पर क्या आपको पता है कि एक ऐसा रक्त समूह ऐसा भी है जिसका अधिपत्य दुनिया में सिर्फ 43 लोगों के पास है।
O नेगेटिव, ना, हम इसकी बात नहीं कर रहे हैं। लेकिन यह रक्त समूह इतना दुर्लभ है कि बीते 58 वर्षो में सम्पूर्ण संसार में सिर्फ 43 लोगों में पाया गया हैं। यह यह रक्त समूह जितना दुर्लभ है, उतना ही खतरनाक भी।
इसे हम गोल्डन ब्लड ( Rh-null ) के नाम से जानते हैं।
हमारे रेड ब्लड सेल्स में 342 एंटीजन होते हैं। ये एंटीजन मिलकर एंटीबॉडीज बनाने का काम करते हैं। ब्लड ग्रुप का निर्धारण भी इन्हीं एंटीजेंस की संख्या पर निर्भर करता है।
हमारे रेड ब्लड सेल्स में 342 एंटीजन होते हैं। ये एंटीजन मिलकर एंटीबॉडीज बनाने का काम करते हैं। ब्लड ग्रुप का निर्धारण भी इन्हीं एंटीजेंस की संख्या पर निर्भर करता है।
हमारे खून में 342 में से 160 एंटीजन होते हैं. अगर इन एंटीजेंस की संख्या में 99% की कमी हो तो उसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन अगर यही कमी 99.99% हो जाए तो यह अति दुर्लभ श्रेणी में आ जाता है. यदि किसी के रेड ब्लड सेल में Rh एंटीजन है ही नहीं, तो उसका ब्लड ग्रुप Rh null होगा।
पहली बार इस ब्लड टाइप की पहचान 1961 में की गई थी। तब एक ऑस्ट्रेलियाई महिला के शरीर में इस ब्लड ग्रुप की पहचान हुई थी। उसके बाद से अब तक पूरी दुनिया में ऐसे 43 केसेज पाए गए हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि यह दुर्लभ गोल्डन ब्लड यूनिवर्सल डोनर है। इसे किसी भी टाइप वाले या बिना Rh वाले ब्लड ग्रुप के साथ चढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह इतना दुर्लभ होता है कि इसका मिलना मुश्किल है।
सन 1974 में 10 साल के बच्चे थॉमस को ब्लड इंफेक्शन हुआ। उसे जिनेवा के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। अस्पताल, ब्लड बैंक कहीं भी थॉमस के ग्रुप वाला ब्लड नहीं मिला। थॉमस की मौत हो गई। डॉक्टरों ने उसका ब्लड सैंपल एम्स्टर्डम और पेरिस भेजा, जहां पता चला कि उसके खून में Rh एंटीजेन था ही नहीं।
मोजेक’ की एक रिपोर्ट में पेनी बेली ने लिखा है, ‘पहली बार इस ब्लड टाइप की पहचान 1961 में की गई थी। एक ऑस्ट्रेलियाई महिला में यह मिला था। उसके बाद से लेकर अब तक पूरी दुनिया में इस तरह से 43 मामले ही सामने आए हैं। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया में हेमैटोलॉजी में विशेषज्ञ नतालिया विलारोया कहती हैं, ‘इस तरह का खून अनुवांशिक रूप से मिलेगा। माता-पिता दोनों इस म्यूटेशन के वाहक होने चाहिए।’
मोजेक’ की एक रिपोर्ट में पेनी बेली ने लिखा है, ‘पहली बार इस ब्लड टाइप की पहचान 1961 में की गई थी। एक ऑस्ट्रेलियाई महिला में यह मिला था। उसके बाद से लेकर अब तक पूरी दुनिया में इस तरह से 43 मामले ही सामने आए हैं। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया में हेमैटोलॉजी में विशेषज्ञ नतालिया विलारोया कहती हैं, ‘इस तरह का खून अनुवांशिक रूप से मिलेगा। माता-पिता दोनों इस म्यूटेशन के वाहक होने चाहिए।’
यूएस रेयर डिजीज इन्फॉर्मेशन सेंटर के मुताबिक जिन लोगों का ब्लड टाइप Rh Null होता है, उन्हें अनीमिया हो सकता है। जबकि खून की जरूरत पड़ने की स्थिति में यह जान जोखिम में डालने वाला केस है, क्योंकि इसके डोनर सीमित हैं। Rh Null ब्लड ग्रुप वाले लोग ब्राजील, कोलंबिया, जापान, आयरलैंड और अमेरिका में रहते हैं।
B4Deo ; Blood 4 Bihar & Jharkhand
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रक्तदान आंदोलन से जुड़े रक्तयोद्धाओं के लिये अद्भुत व अनोखी जानकारी। धन्यवाद आपको।
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