उन्नाव-केस

#उन्नाव
मैं भरसक प्रयास करता रहा कि इस मुद्दे पर कुछ न बोलूँ लेकिन कुछ मित्रों ने मेरी राय जानने के लिये मेरे हर पोस्ट पर टिप्पणी करके, जैसे मुझे मेरे कर्तव्यों की याद दिला रहे हो, इसपर आपकी क्या राय हैं। सभी का धन्यवाद।
मैं आपसे बस ये पूछना चाहता हूँ, भगवान न करें, अगर इस तरह के कुकर्मों में आपके ही भाई-बहन लिप्त होते हैं, तो क्या यह हमारा कर्तव्य बन जाता हैं कि उसके इस कृत्य के लिए हम आपको, आपके किसी और भाई-बहन या माता-पिताजी को जलील करें।

अब वापस मुद्दे पर आते हैं।
किस पार्टी के विधायक-सांसद दूध से धुले हैं, कोई हरिश्चंद्र पार्टी, अभी नए-नवेले जीतकर आये केजरीवाल जी की पार्टी, जो कि पूर्णतया शुद्ध (इस मायने में कई उसमें दूसरी पार्टीयों के नेता ने प्रवेश न लिया) मानी जाती हैं, 22 विधायक किसी-न किसी आरोप में अंदर हैं।
आप बार-बार बीजेपी के, बीजेपी के नेता बोल रहे हैं, और किस पार्टी ने अपने विधायक सांसद को नहीं बचाया हैं। जबकि अभी तक सिर्फ एकतरफा बयान ही लिया गया हैं पीड़िता का, ये तो बताएं, अबतक सेंगर का बयान किस-किसने टीवी चैनल या खोजी पत्रकार ने लिया हैं, शायद अभी-अभी "एशिया के नोबेल" अवार्ड पाए पत्रकार ने लिया हो। मुझे नहीं पता उसके साथ क्या हुआ, और कौन दोषी हैं, ये सिद्ध करने के लिए कानून और सुप्रीम कोर्ट हैं। कल को हम पर और आप पर भी कोई आरोप लगा दें, और फिर, बिना हमारा पक्ष सुने ही सब हम पर आरोप तय करने लग जाएंगे, सिर्फ इसलिए कि वो लड़की/स्त्री हैं, गलत नहीं हो सकती हैं।

इसी बलात्कार के आरोप में धनंजय चटर्जी, (जो कि निरपराध था) को फांसी की सजा दी गई थी। (रेप में फाँसी देने का पहला और अंतिम केस) उसके जल्लाद का भी हाथ कांप रहा था फाँसी देने के लिए। और उसी फाँसी के बाद उसने उस पैसे से सन्यास ले लिया। और इस फाँसी की स्वीकृति देने वाले वही हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति (APJ अबुल कलाम) थे, जिनके कारण आजतक मैं उन्हें वह सम्मान दे नहीं पाया हूँ, वो आज भी गुनहगार हैं मेरी नजरों में, क्योंकि इन्होंने ही, 3 खतरनाक आतंकियों (मुस्लिम होने के कारण, नोट:आतंकवादी का धर्म नहीं होता है।) की सजा ठुकरा दी थी। कुछ डायलाग देने से पहले अपनी जानकारी गूगल करके दुरुस्त कर लें।

एक धर्म के लोग लगातार बलात्कार, आतंकी गतिविधियों में दोषी पाए जा रहे हैं, उस केस में तो आप सभी के मुँह में दही जम जाता हैं। जुर्म का धर्म नहीं होता हैं, लेकिन जुर्म की पार्टी हो जाती हैं। अपने विचार बदलिए।

कुछ दिन पूर्व आप सभी साक्षी के पिताजी का पक्ष न लेने के लिए सभी मीडिया चैनलों को गाली दे रहे थे, उसके समर्थन में आवाज उठा रहे थे। वैसा ही कुछ तो इसमें भी सेंगर के साथ हुआ हैं।
बहुत बड़े-बड़े समाजसेवी अपना नाम चमकाने में लगे थे, पटना की उस बच्ची के लिए। जिसके लिए 25 लाख रुपये इसी कीटो (Ketto) से हरियाणा की कोई महिला पत्रकार रेज कर रही थीं।
मुझे बच्ची के भविष्य की चिंता हैं, बच्ची की माँ से कोई इत्तेफाक नहीं।
किसी ने उस बच्ची के पिता की पक्ष सुनी। किसी एक ने भी, बड़े-बड़े धुरंधर समाजसेवी उस केस में अपना नाम चमका रहे थे।
मुझसे पूछिये, मैं बताता
हूँ, उसके पड़ोसी तैयार ही नहीं हुए ये कहने को, की वह ऐसा काम कर सकता हैं। उसका कोई रिश्तेदार बच्ची के पिता के बारे में कुछ गलत नहीं बोल रहे हैं। हाँ यह सम्भव हैं, उसने बच्ची को धमकाया हो, लेकिन इससे उसका गुनाह तो सिद्ध नहीं हो जाता हैं। दूसरा पक्ष कौन जानता हैं क्या हैंम
तो फिर हम और आप होते कौन हैं, किसी पर इल्जाम लगाने वाले, जबतक कोर्ट उसपर आरोप न तय कर दें।
हमने आपने एक पुत्री के समक्ष पिता के किरदार की हत्या कर दी। एक पुरूष को आपने समाज के समक्ष एक खलनायक बनाकर पेश कर दिया हैं।

अगर कल को वो कोई गलत कदम उठा लेता हैं, तो इसके जिम्मेदार क्या ये क्रांतिकारी समाजसेवी होंगें।
रोहतक की बहादुर बहनों को कौन नहीं जानता हैं, जिन्होंने3 मासूम युवकों की जिंदगी में जहर घोलकर समाज की नायिका बन गई। जिसे न जाने दुर्गा, चंडी, लक्ष्मीबाई जैसे किन-किन उपनामों से अलंकृत किया गया था। 2 साल बाद उन्होंने न्यायालय में स्वीकार किया कि वो आरोप झूठे थे, इसमें उन मासूम लड़कों का कोई हाथ नहीं था। ये जो तमाम खोजी, क्रांतिकारी पत्रकार जो अपने आप को जेम्स बांड की आखिरी औलाद समझते हैं, तथा ये कुकुरमुत्तों की तरह उग गए तमाम सबसे तेज चैनल जो हर छोटी सी चीजों को आपके समक्ष सनसनीखेज बनाकर प्रस्तुत करते हैं, और हम और आप जैसे दो कौड़ी के फेसबुकिया पत्रकार, जिन्हें यह तक नहीं पता हैं कि हिंदी वर्णमाला में कितने अक्षर हैं उन मासूम लड़को के दो साल वापस करेंगे। उनके दो सालों में समाज में खोई हुई प्रतिष्ठा लौटा पाएंगे।
कभी विचार किया हैं, क्या उनके घरों की लड़कियों से कोई लड़का या उनलोगों से ही कोई लड़की शादी करने को तैयार होगी। आपने उनकी समाज में प्रतिष्ठा, नौकरी सबकुछ खत्म कर दी। ये समाज की रीत हैं कि लड़की घर में बैठे तो कोई दिक्कत नहीं, लेकिन लड़के घर में बैठे तो बहुत दिक्कत हैं।
मुझे सबसे ज्यादा इसी घटना ने झकझोर कर रख दिया।

किसी को याद हैं MJ अकबर पर 10 साल पहले के लगाए गए आरोप (Me2) सिद्ध हुए।

मोहम्मद शमी की तो कैरियर लगभग खत्म ही कर दी थी उनकी पत्नी जीनत जहां ने कर दी।

मुझे उस लड़की से हमदर्दी हैं, लेकिन सेंगर को दोषी कहने का अधिकार मेरे पास नहीं हैं। इस विषय में मैं न ही उस महिला का हिमायती हूँ, न ही सेंगर का हूँ, और न ही भाजपा का हूँ।
और हाँ, मैं महिला अतिवादी HyperFeminist नहीं हूँ।
ये मेरे अपने विचार हैं। इससे यदि किसी की भावना को ठेस पहुंचता हैं, तो इसके जिम्मेदार आप हैं।
Prashant Bharti

Comments

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  2. भाई तब तो हर ऐसे मामले पर कुछ नही बोलोगें की सिर्फ इस पर ही

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