#हलाल_मीट और हिन्दू


#हलाल_मीट
    इसमें जोमैटो का कोई दोष नहीं हैं। हम हैं ही सुतिया। जोमैटो साफ कह रहा हैं। हम झटका टैग इसलिए नहीं डाल सकते क्योंकि झटका मीट खाने वालों का कोई संगठित समूह नहीं हैं। और जोमैटो ऐसा कोई फीचर नहीं डाला हैं। लेकिन अगर आप (यानी कि हम सुतिये, जो कि अबतक कहीं भी झटका मीट मांगे ही नहीं थे) झटका मांगेंगे तो हम डाल सकते हैं।
    तो आप कहीं भी मीट खाने जाते हैं, पहले उनसे कहें हमें झटका मीट चाहिए। और अगर आप को झटका मीट न मिले तो उठकर किसी दूसरे दुकान चले जाइये। उम्मीद हैं कि नहीं ही मिलेगा। क्योंकि हम (हिन्दू) हैं ही सुतिया।
👉    इतने करोड़ की आबादी हमने सिर्फ रोज जलील होने के लिए बनाई हैं। अपने लिए एक झटका टैग नहीं रख पाए। यहाँ मैं Sidhant Sehgal जी से पूर्णतया सहमत हूँ, बंगाली हिंदुओं ने उन्हें अलग माना हैं। और यही कारण हैं, वे अपने आप को हमसे जुड़ा नहीं पाते हैं।


  👉    किसी भी दोस्त की दोस्ती का लिहाज रखने के लिए या मुफ्त में मिले माल को खाने के लिए हम चले जाते हैं उसके घर दावत उड़ाने।  अब उसके यहाँ आपको झटका थोड़े न मिलेगा। या आपके लिए स्पेशल थोड़े न लाकर देगा। यह भी संभव हो आप गोश्त का दावत उड़ाकर धर्म भंग कर घर आये हो। कभी खुद उन्हें अपने घर बुलाकर (झटका मीट का) दावत कराएं, और फिर यहाँ अपने अनुभव बाँचे।
👉अरे हद तो तब हो गया जब हमारे (शहर झाझा) के मुहल्ले में किसी के यहाँ, गांव से एक मुस्लिम ने अपनी दसवीं की बेटी पढ़ने के लिये रखा था। लोग अपने घर में पाली हुई बकरी उसी से कटवा रहे थे। और उसने उसे हलाल कर काटा। और लोग कटने पर तालिया बजा रहे थे। इसमें उस प्यारी सी लड़की का क्या दोष हैं। उसने तो आजीवन अपने घर में यही होते हुए देखा हैं। लेकिन सुवरों (हिंदुओं) तुम्हारी जात ही ऐसी ही चंद के लिये तूूम तो अपना धर्म ही भ्रष्ट कर दोगे।


ये तुम्हारे ही कारण कसाई (जिसकी जगह आज हलाल मीट ने ले ली हैं)  नाई जाती (जिसकी जगह जावेद हबीब ने ले ली हैं) ने अपना पुश्तैनी धंधा ही छोड़ दिया हैं।
मैं तो कहता हूँ जाती प्रथा जरूरी हैं, हमारे पुरखे कोई मूर्ख नहीं थे। वो जो चीज बताकर गए, जिन्हें हम कूल डूड और डूडनी ओल्ड फैशनड बताते हैं। उसी पर जब कोई वेस्टर्न कंट्री अपना लेबल लगाकर आपके पास पहुंचाती हैं, तो आप उसे हँसी खुशी मॉडर्न बनकर प्रयोग करते हो।
और हाँ मैं ✍️ वाला अमिष (यानी कि पूर्णतया शाकाहारी)
गत वर्ष जब किसी को ओला हु उबेर के बारे में पता भी नहीं था, हमने तब भी Pooja Singh को सपोर्ट किया था। आज भी अमित को कर रहा हूँ। और हाँ कोई यहाँ सेक्युलर गाथा का वर्णन न करें।
#ISupportAmit
Prashant Bharti
Twitter/Instagram: @Bhart_09

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